सत्यदेव त्रिपाठी
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Jun- 2022 -24 Juneसंस्मरण
घाघ की कविताई बजरिए स्वराज आश्रम…
लोक कवि घाघ से प्रथम परिचय – दर्जा पाँच में घाघ की कुछ पंक्तियाँ मिली थीं – ‘छोटी सींग…
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Mar- 2022 -31 Marchसंस्मरण
चौथेपन पायउं प्रिय ‘काया’…
(कबहुँ नाहिं व्यापी अस माया) मेरी प्रिय काइया को घर में देखते ही बेटे के सभी मित्र व…
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24 Marchरंगमंच
‘बिहार में चुनाव लड़ने’ से ‘निमकी मुखिया’ बनने तक…
‘मंच’ (मुम्बई-पटना-छोटका कोपा) के विजय कुमार वह 21वीं सदी के शुरुआती दिन थे…। उन दिनों मुझे विश्वविद्यालय जाना…
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Feb- 2022 -17 Februaryरंगमंच
‘डिप्लोमा इन करप्शन’ के मंचन की जानिब से
पिछले शनिवार, 12 फ़रवरी की शाम सातबंगला, मुंबई में ‘वेदा फ़ैक्ट्री आर्ट स्टूडियो’ में सुरेंद्र चतुर्वेदी लिखित नाटक ‘डिप्लोमा…
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4 Februaryलेख
सर्वं प्रिये ‘चारुहीनं’ वसंते: उर्फ़ वसंत खो गया है…!!
सम्पादक मित्रों से बात करने के कई बार बड़े जोखम होते हैं। अब देखिए – उस दिन हाल-अहवाल के…
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Jan- 2022 -27 Januaryरंगमंच
जीवन और रचना : आमने-सामने
निदा फ़ाज़ली का शेर है – ‘कहानी में तो किरदारों को जो चाहे बना दीजे; हक़ीक़त भी कहानी-कार हो,…
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2 Januaryसंस्मरण
जेरी के जल्वे
उस शाम घर में घुसते ही बेटे ने बड़ी हसरत भरे खिलन्दड़ेपन के साथ जेब में हाथ डालकर जैसे…
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May- 2020 -22 Mayकहानी
तीसरी कसम : पोर-पोर में प्रेम
कहना तो ये चाहता हूँ कि ‘तीसरी कसम’ न होती, तो फिल्मों में प्रेम की चर्चा न हो पाती……
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